भारत के महारजिस्ट्रार का कार्यालय के कार्य



भारत के महारजिस्ट्रार के कार्यालय की प्राथमिक जिम्मेदारी मुख्य रूप से निम्नलिखित गतिविधियों के लिए है:


(i) आवास और जनसंख्या जनगणना: भारत के जनगणना आयुक्त एक विधिक प्राधिकारी हैं जो जनगणना अधिनियम, 1948 और उसके तहत बनाए गए नियमों के अंतर्गत भारत में आवास और जनसंख्या जनगणना के संचालन का कार्य देखते हैं। क्षेत्रीय गतिविधियों की योजना, समन्वय और पर्यवेक्षण, डाटा प्रसंस्करण, जनगणना परिणामों का संकलन, सारणीकरण और प्रसार इस कार्यालय के प्राथमिक कार्य हैं।

(ii) नागरिक पंजीकरण प्रणाली (सीआरएस): जन्म और मृत्यु पंजीकरण (आरबीडी) अधिनियम, 1969 जो जन्म और मृत्यु के अनिवार्य पंजीकरण का प्रावधान करता है, के तहत भारत के जनगणना आयुक्त को भारत के महारजिस्ट्रार के रूप में भी नामित किया गया है। इस भूमिका में, भारत के महारजिस्ट्रार सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के माध्यम से देश में नागरिक पंजीकरण और मुख्य सांख्यिकी प्रणाली के कामकाज का समन्वय करते हैं।

(iii) सैम्पल पंजीकरण प्रणाली (एसआरएस): अर्द्धवार्षिक आधार पर जन्मत एवं मृत्यु् संबंधी घटनाओं का वृहद सैम्पल सर्वे अर्थात सैम्पल पंजीकरण प्रणाली के कार्यान्व यन का उत्तओरदायित्वन भी भारत के महारजिस्ट्रार एवं जनगणना आयुक्त के कार्यालय का है। एसआरएस देश में राज्यि स्तरर पर जन्म -दर, मृत्युर-दर, शिशु मृत्युक-दर तथा मातृ मृत्यु䕔-दर आदि महत्वपूर्ण दरों का एक मुख्य स्रोत है।

(iv) राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर): नागरिकता अधिनियम, 1955 के तहत बनाए गए नागरिकता नियम, 2003 में निहित प्रावधानों के अनुसरण में, देश में सामान्य तौर पर रहने वाले सभी व्यक्तियों से संबंधित सूचना एकत्रित करते हुए राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर तैयार किया जाता है।

(v) मातृभाषा सर्वेक्षण: यह परियोजना उन मातृभाषाओं का सर्वेक्षण करती है, जोकि दो और अधिक जनगणना दशकों में लगातार पायी जाती है। अनुसंधान कार्यक्रम चयनित मातृ भाषाओं के भाषाई विशेषताओं का दस्तावेज़ बनाता है।