जनगणना प्रभाग






जनगणना विभाग, जनगणना अधिनियम, 1948 और जनगणना नियम, 1990 और उसके तहत किए गए संशोधनों के कानूनी अधिकार के तहत देश में दस वर्षों में एक बार जनगणना संचालन के समय पर और सफल संचालन के लिए भारत के महापंजीयक और जनगणना आयुक्त की सहायता करता है। जनगणना संचालन के निदेशक संबंधित राज्य/ केंद्र शासित प्रदेशों में जनगणना के कार्य का समन्वय करते हैं। भारत की अंतिम दशकीय जनसंख्या जनगणना 9-28 फरवरी 2011 के दौरान 1-5 मार्च, 2011 के दौरान एक पुनरीक्षण दौर के साथ हुई थी। अगली जनगणना 2021 में होने वाली थी, लेकिन इसे कोविड -19 महामारी के कारण स्थगित कर दिया गया है।

जनगणना से संबंधित सभी मामलों में योजना, तैयारी, प्रश्नों / अनुसूचियों का पूर्व परीक्षण, जनगणना का संचालन, जनगणना के डेटा का सारणीकरण और इसके प्रसार को इस प्रभाग में किया जाता है।

जनसंख्या जनगणना स्थानीय, क्षेत्रीय और राष्ट्रीय स्तर पर मानव संसाधन, जनसांख्यिकी, संस्कृति और आर्थिक संरचना की स्थिति पर आधारभूत आँकड़े प्रदान करती है। यह सारी जानकारी राष्ट्र के भविष्य के मार्ग को दिशा देने और आकार देने के लिए महत्वपूर्ण है। सार्वभौमिकता और समकालीनता जनगणना की दो प्रमुख विशेषताएं हैं। इसलिए भारत के आकार के आधार पर एक बड़ी जनसंख्या की गणना करना एक अभूतपूर्व कार्य है। भारत की आगामी दशकीय जनगणना श्रृंखला में 16वीं और स्वतंत्रता के बाद 8वीं होगी। यह वास्तव में एक वृहद कार्य है जिसके लिए देश भर में लगभग 135 करोड़ (1.35 बिलियन) लोगों की गणना करने के लिए लगभग तीस लाख प्रगणक और पर्यवेक्षक लगेंगे । प्रगणक और पर्यवेक्षक मुख्य रूप से स्थानीय स्कूल शिक्षकों, केंद्र और राज्य/केंद्र शासित सरकार के अधिकारियों और स्थानीय निकायों से लिए जाते हैं, जो जनगणना कार्य के लिए हर घर का दौरा करेंगे।

भारत में जनगणना कार्य दो चरणों में किया जाता है:- i) मकान सूचीकरण एवं मकानों की गणना तथा ii) जनसंख्या गणना। मकान सूचीकरण और मकानों की गणना के दौरान, सभी भवनों, जनगणना मकानों और परिवारों की पहचान की जाती है और उन्हें संबंधित अनुसूचियों में व्यवस्थित रूप से सूचीबद्ध किया जाता है। यह मानव बस्तियों की स्थितियों, आवास की कमी और फलस्वरूप आवास नीतियों को तैयार करने में ध्यान रखने वाली आवास आवश्यकताओं पर व्यापक डेटा प्रदान करता है। यह परिवारों के लिए उपलब्ध सुविधाओं और संपत्तियों पर डेटा/सूचना की एक विस्तृत श्रृंखला भी प्रदान करता है । यह मकान सूचीकरण ब्लॉकों के जनसंख्या आकार का अधिक वास्तविक विचार देते हुए जनसंख्या गणना के लिए आधार प्रदान करता है , जिससे जनसंख्या गणना के लिए ब्लॉकों की अधिक व्यावहारिक खाका सुनिश्चित होती है ।

मकान सूचीकरण एवं मकानों की गणना के बाद छः से आठ महीने के अंतराल के भीतर जनसंख्या गणना बाद होती है। जनगणना के दूसरे चरण के दौरान, प्रत्येक व्यक्ति की गणना की जाती है और उसके व्यक्तिगत विवरण जैसे आयु, वैवाहिक स्थिति, धर्म, अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति, मातृभाषा, शिक्षा का स्तर, विकलांगता, आर्थिक गतिविधि, प्रवासन, प्रजनन (महिला के लिए) एकत्र किए जाते हैं।

जनगणना के आयोजन से लगभग दो वर्ष पूर्व जनगणना अनुसूचियों का पूर्व परीक्षण करने की प्रथा रही है।

भारतीय जनगणना के इतिहास में, आगामी जनगणना में पहली बार जनगणना के आंकड़े डिजिटल रूप से अर्थात् मोबाइल एप पर एकत्र किए जाएंगे। जनगणना के उद्देश्य के लिए सभी प्रगणकों और पर्यवेक्षकों द्वारा इसकी अधिकतम स्वीकार्यता सुनिश्चित करने के लिए मोबाइल ऐप को बहुत ही सरल, सुविधाजनक और उपयोगकर्ता के अनुकूल बनाया गया है। मोबाइल ऐप की मदद से, अनुसूची और आईसीआर प्रसंस्करण के लिए अतिरिक्त लॉजिस्टिक्स की आवश्यकता के बिना, सभी डेटा तत्काल प्रसंस्करण के लिए तैयार हो जाएगा। भारत की जनसंख्या जनगणना 'डिजिटल जनगणना' में बदल रही है। वैज्ञानिक दृष्टिकोण को अपनाते हुए, आगामी जनगणना अभ्यास के सुचारू संचालन और प्रभावी प्रबंधन तथा निगरानी के लिए भारत के महारजिस्ट्रार का कार्यालय द्वारा सीएमएमएस पोर्टल विकसित किया गया है।

पहली बार, आगामी जनगणना के दूसरे चरण में पूछे जाने वाले कई प्रश्नों के लिए एक अलग कोड डायरेक्टरी प्रदान की जाएगी। वर्णनात्मक / गैर-संख्यात्मक प्रविष्टियों से जुड़े प्रश्नों के लिए, एक अलग कोड डायरेक्टरी, जिसमें ऐसे प्रत्येक प्रश्न के लिए संभावित जवाब/उत्तर और कोड शामिल हैं, को प्रगणकों द्वारा उपयोग के लिए तैयार किए गए हैं। कोड डायरेक्टरी में घर के मुखिया से संबंध, मातृभाषा और अन्य भाषा का ज्ञान, व्यवसाय, उद्योग, व्यापार या सेवा के प्रकार, जन्म स्थान/अंतिम निवास स्थान और अनुसूचित जाति (एससी) / अनुसूचित जनजाति (एसटी) आदि के संबंध में कोड होंगे।